(बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम): अज़ीज़ साथियों! हमने आज की गुफ्तुगू के लिए जो विषय चुना है वो है ‘‘ इस्लामी अक़ीदा’’ जोकि एक ऐसा बुनियादी और असासी विषय है कि अगर ये अक़ीदा इंसान के दिल व दिमाग़ में रासिख़ हो जाए तो उसकी ज़िन्दगी के तमाम मामलात में दुरूस्तगी और पाकीज़गी आ जाती है और उसकी ज़िन्दगी का सारा सफ़र अल्लाह तआला की हिफ़ाज़त और निगरानी की बदौलत बिल्कुल महफूज़ हो जाता है।
अल्लाह तआला के तमाम अम्बिया-ए-किराम जो विभिन्न क़ौमों और उम्मतों की तरफ भेजे गए उन तमाम अम्बिया-ए-किराम को जिस बुनियादी मसले का सामना करना पड़ा वो था शिर्क (मतलब अल्लाह के साथ दूसरों को शरीक ठहराना) और इस मसले से निपटने के लिए अम्बिया-ए-किराम के पास जो हथियार था वो था (अक़ीदा-ए-तौहीद)।
ये किताब इस्लामी अक़ीदा जिसमें इस्लाम के अक़ीदा-ए-तौहीद की हक़ीक़त व अहमियत पर रोशनी डाली गई है और उन मुशरिकाना अक़ाइद व नज़रियात की वज़ाहत की गई है जो ग़ैर इस्लामी तहज़ीबों के अस़रात की वजह से मुसलमानों की ज़िन्दगियों में दाखि़ल हो गए हैं। ये किताब केवल 16 पेज पर मुश्तमिल है इसे पढ़कर अपना अक़ीदा दुरूस्त कर लीजिए।
ये किताब सभी के लिए बहुत फायदेमंद है।
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